राजस्थान में 1857 की क्रांति
राजस्थान में क्रांति की शुरुआत 28 मई से नसीराबाद छावनी से शुरू हुई परन्तु भारत में क्रांति की शुरुआत 10 मई से हो गई थी। 1857 की क्रांति से पहले कलकत्ता की बैरक पुर छावनी में 34 वी बंगाल रेजिमेंट के सिपाही मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को अंग्रेज अधिकारी सूर बाग व सर ह्यूसन की हत्या कर दी और "मारो फिरंगी" का नारा दिया। 8 अप्रैल 1857 को मंगल पण्डे को फांसी दे दी गई।
1857 REVOLUTION IN RAJASTHAN |
विद्रोह का कारण एनफील्ड राइफलों के कारतूसो में गाय व सूअर की चर्बी लगी होती थी यही क्रांति का तात्कालिक कारण बना।
राजस्थान का प्रथम एजेंट टू गवर्नर जनरल मिस्टर लॉकेट था। 1857 ई में राजस्थान का (AGG ) एजेंट टू गवर्नर जनरल जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस था। राजस्थान के रियासतों के पोलिटिकल एजेंट होते थे जो AGG के नीचे रहकर काम करते थे। राजस्थान के रियासतों के पोलिटिकल एजेंट के नाम :
- मेवाड़ - मेजर शावर्स
- मारवाड़ - मैकमोसन
- कोटा - मेजर बर्टन
- जयपुर - मेजर ईडन
- भरतपुर - मॉरिसन
1857 में राजस्थान में 6 सैनिक छावनी थी।
- नसीराबाद - अजमेर
- ब्यावर - अजमेर
- खैरवाड़ा - उदयपुर
- नीमच - मध्य प्रदेश
- देवली - टोंक
- एरिनपुरा - पाली
नसीराबाद छावनी
राजस्थान में सर्वप्रथम क्रांति की शुरुआत 28 मई को गुरुवार के दिन बख्तावर सिंह के नेतृत्व में नसीराबाद में हुई। यहां पर 15 वी नेटिव इन्फेंट्री के सिपाहियो ने विद्रोह किया। अंग्रेज अधिकारी न्यूनबर्ग व वुड स्पोटिस बर्ग की हत्या कर दी गई। यहां से क्रन्तिकारी दिल्ली की और रवाना हुए।
नीमच छावनी
नीमच छावनी क्रांति के समय मेवाड़ रियासत के अधीन आती थी। यहां पर क्रांति का नेतृत्व मोह्हमद अली व हीरालाल बैग ने किया। क्रांतिकारियों ने 40 अंग्रेज अधिकारियो को बंदी बनाकर डूंगला ( चितौड़गढ़ ) में रूंगाराम किसान के घर रखा।
मेवाड़ के पोलिटिकल एजेंट मेजर शावर्स के कहने पर मेवाड़ महाराणा स्वरूपसिंह ने अंग्रजो को छुड़वाया और पिछोला झील के जगमन्दिरो में शरण दी और यहां पर इनकी देखभाल के लिए गोकुलचंद को नियुक्त किया।
नोट - स्वरुप सिंह राजस्थान का पहला राजा था जिसने अंग्रजो का साथ दिया।
एरिनपुरा छावनी
यहाँ क्रांति की शुरुआत 21 अगस्त 1857 को हुई। यहाँ पर क्रांति का नेतृत्व शीतल प्रसाद, मोती खा व तीलक राम ने किया। अंग्रेज अधिकारी एलेक्जडर की हत्या कर दी गई। जोधपुर लीजन की सैनिक टुकड़ी के सिपाही शिवनाथ के नेतृत्व में 'चलो दिल्ली, मारो फिरंगी' का नारा दिया।
आऊआ ( पाली )
राजस्थान में आऊआ में कोई सैनिक छावनी नहीं थी। लेकिन मारवाड़ में क्रांति का प्रमुख केंद्र था। यहाँ पर क्रांति का नेतृत्व ठाकुर कुशाल सिंह ने किया। कुशाल सिंह की इष्ट देवी का नाम सुगाली माता था इस लिए सुगाली माता 1857 की क्रांति की देवी बन गई। क्रांति के समय अंग्रेज सुगाली माता की मूर्ति उठाकर अजमेर ले आये। वर्तमान में पाली के बांगड़ संग्राहलय में स्थित है।
8 सितम्बर 1857 - बिथौड़ा का युद्ध
ठाकुर कुशाल सिंह और कप्तान हीथकोट के बीच हुआ। इस युद्ध में ठाकुर कुशाल सिंह के जीत हुई। कप्तान हीथकोट का साथ ओनाड सिंह ने दिया जो की तख्तसिंह का सेना पति था। युद्ध में ओनाड सिंह मारा गया।
18 सितम्बर 1857 - चेलावास का युद्ध( गौरे - कालो का युद्ध )
ठाकुर कुशाल सिंह और मैकमोसन व AGG जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस की सयुक्त सेना के साथ हुआ। ठाकुर कुशाल सिंह की जीत हुई। क्रांतीकरियो ने मकमोसन का सिर काट कर आऊआ किले के प्रवेश द्वार पर लटका दिया। इस घटना की जाँच करने के लिए टेलर आयोग घटित हुआ। अंत में ठाकुर कुशाल सिंह नीमच में आत्मसमर्पण कर देता है।
कोटा विद्रोह
यहाँ पर क्रांति की शुरुआत 15 अक्टूबर 1857 को हुई। राजस्थान में सुनियोजित और सुनिश्चित ढंग से क्रांति कोटा में हूई । यहाँ पर क्रांति का नेतृत्व लाला जयदयाल और मेहराब खा ने किया। नारायण पल्टन व भवानी पल्टन के सैनिको ने कोटा के PA मेजर बर्टन का सर काटकर पूरे कोटा शहर में घुमाया। उसके 2 पुत्र फ्रैंक और ऑर्थर की भी हत्या कर दी।
कोटा के शासक रामसिह -2 क्रांतिकारियों का दमन नहीं कर पाए तो करौली के राजा मदनपाल ने यहाँ आकर अंग्रजो की सहायता की।
धौलपुर विद्रोह
यहाँ पर क्रांति की शुरुआत 27 अक्टूबर 1857 को हुई। यहाँ पर क्रांति का नेतृत्व गुर्जर देवा ने किया। यहाँ क्रांतिकारी ग्वालियर व इंदौर से आये तथा क्रांति का दमन करने के किये सेना पटियाला से आई।
भरतपुर विद्रोह
यहाँ पर क्रांति की शुरुआत 31 मई 1857 को हुई।भरतपुर का शासक जसवंत सिंह नाबालिक था। यहाँ पर गुर्जर और मेवों के क्रांति की थी।
राजस्थान में क्रांति का अंत सीकर में हुआ। राजस्थान में विभिन्न राजाओ ने अंग्रजो का साथ दिया। जयपुर के राजा रामसिंह को अंग्रजो ने सितार-ए - हिन्द की उपाधि दी। बीकानेर का शासक सरदार सिंह राजस्थान का एकमात्र शासक था जिसने राजस्थान से बाहर जाकर अंग्रेजो की मदद की।
1857 की क्रांति के समय राजस्थान की रियासतों के शासको के नाम
- कोटा - रामसिंह २
- करौली - मदन सिंह
- धौलपुर - भगवंत सिंह
- अलवर - बन्नेसिंह
- भरतपुर - जसवंत सिंह
- झालावाड़ - पृथ्वी सिंह
- प्रतापगढ़ - दलपतसिंह
- मेवाड़ - स्वरुप सिंह
- मारवाड़ - तखत सिंह
- टोंक - वजीऊ दोल्ला
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