पूर्वी मैदान प्रदेश
पूर्वी मैदानी प्रदेश अरावली के पूर्वी भाग में गंगा और यमुना के मैदान से जुड़ा हुआ है | राजस्थान के भौतिक प्रदेश में जलवायु , वनस्पिति , मृदा एवं कृषि के दृष्टि से समरूपता पाई जाती है |
राजस्थान का पूर्वी मैदान प्रदेश |
पूर्वी मैदान प्रदेश की भौतिक विशेषता -
विस्तार - राजस्थान में 50 cm वर्षा रेखा से पूरब में स्थित प्रदेश को पूर्वी मैदानी प्रदेश के नाम से जाना जाता है | यह प्रदेश नदियों के द्वारा निर्मित है , इसी कारण से इसे नदी निर्मित बेसिन या प्रदेश कहा जाता है |
जिले - यह मुख्य रूप का धौलपुर, करौली , सवाई माधोपुर , कोटा , चितोडगढ , जयपुर , दौसा , भरतपुर , टोंक , भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, में विस्तृत है |
क्षेत्रफल एवं जनसँख्या - यह राजस्थान के क्षेत्रफल 23 % भाग पर स्थित है | जहाँ पर कुल जनसँख्या का 39 % भाग निवास करता है | इसी कारण यह राजस्थान का जनसँख्या घनत्व की दृष्टि से सबसे बड़ा भौतिक विभाग है |
जलवायु - इस प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा 50 cm से 80 cm होती है |
खनिज - इस प्रदेश में मुख्य रूप से अधात्विक खनिज पाए जाते है , एवं सर्वाधिक मात्रा में इस क्षेत्र में संगमरमर का उत्खनन होता है |
कृषि - इस क्षेत्र में मुख्य रूप से गेहू , सरसो , चावल, गन्ना उत्पादित होता है |
उच्चावच - इस प्रदेश में चम्बल नदी बेसिन को छोड़कर बाकि पूरा क्षेत्र मैदानी प्रदेश है | इस प्रदेश के चम्बल बेसिन में डांग , भीहड़ आदि स्थलाकृति पाई जाती है |
मिटटी - इस प्रदेश में मुख्य रूप से दोमट एवं कच्छारी मिटटी पाई जाती है | जो की राजस्थान में सबसे अधिक उपजाऊ मिटटी है |
वनस्पति - इस प्रदेश में मुख्य रूप से नीम , शीशम, साल, सागवान, खेजड़ी, रोहिड़ा, बबुल, आदि वनस्पतिया पाई जाती है |
पूर्वी मैदान को मुख्य रूप से तीन भागो में बांटा गया है |
- चंबल नदी बेसिन
- बनास नदी बेसिन
- माही नदी बेसिन
चंबल नदी बेसिन - मुख्य रूप से चंबल एवं उसकी सहायक नदियों से निर्मित है| यह कोटा, चित्तौड़गढ़ ,सवाई माधोपुर, धौलपुर, करौली, बूंदी आदि में फैला हुआ है| इस क्षेत्र का ढाल दक्षिण -पश्चिम से उत्तर - पुरब की ओर है| चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदियां - बनास, कालीसिंध, पार्वती, सीप, परवन, मेज, मांगली, घोड़ा पछाड़ |
उत्खात स्थलाकृति - चंबल नदी का तीव्र ढाल वाला क्षेत्र जो की चंबल नदी के द्वारा गहरे गड्ढों से निर्मित है उसे उत्खात स्थलाकृति कहा जाता है|
डांग - चंबल नदी क्षेत्र में उत्खात स्थलाकृति, बीहड़ एवं गहरे गड्ढे वाले क्षेत्र डांग क्षेत्र कहलाता है|
खादर - चंबल नदी के द्वारा निर्मित 5 से 80 मीटर गहरे गड्ढों को स्थानीय भाषा में खादर कहा जाता है|
नोट - राजस्थान में सबसे अधिक बिहड़ एवं डांग का विस्तार क्रमशः सवाई माधोपुर व करौली जिले में है|
बनास नदी बेसिन - यह बेसिन बनास एवं उसकी सहायक नदियों से निर्मित है जो कि मुख्य रूप से अजमेर, सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ स्थित है|
इस क्षेत्र के उत्तरी भाग को मालपुरा का मैदान (टोंक ) एवं दक्षिणी भाग को मेवाड़ का मैदान कहा जाता है| इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां - खारी, कोठारी, मेनाल , बेडच है|
इस क्षेत्र में सबसे बड़ा बांध टोंक जिले में बीसलपुर बांध है जो की राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है बनास नदी पर बना है|
माही नदी बेसिन - यह बेसिन माही व उसकी सहायक नदियों से निर्मित है| यह क्षेत्र डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ में स्थित है|
छप्पन का मैदान क्षेत्र - प्रतापगढ़ बांसवाड़ा
कांठल - प्रतापगढ़
वागड़ प्रदेश - डूंगरपुर बांसवाड़ा प्रतापगढ़
प्रमुख सहायक नदियां - सोम, माही, जाखम अनास, एरण, एराव चाप |
वालरा - आदिवासियों के द्वारा जंगलों में जलाकर दक्षिण राजस्थान में की गई कृषि वालरा कहलाती है|
इसके दो रूप होते हैं
- दजिया - मैदानी भागों में |
- चीमाता - पहाड़ी ढालो पर |
इस कृषि को असम में झूमिंग व मध्यप्रदेश में कुमारी कहते हैं
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