चितौड़गढ़ का किला (चित्रकुट, गिरी दुर्ग )
चितौड़ के किले का वास्तिविक नाम चित्रकुट है। आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गयी चार कोटियों तथा आचार्य शुक्र द्वारा बताई गई नौ दुर्ग कोटियों में से केवल एक कोटि धन्व दुर्ग को छोड़कर चितौड़गढ़ को सभी कोटियों में रखा जा सकता है। इसी कारण राजस्थान कहावत कही जाती है की "गढ़ तो गढ़ चितौड़गढ़, बाकि सब गढ़ैया।" चितौड़गढ़ का किले को दुर्गो का सिरमौर भी कहा जाता है। यह 1810 फ़ीट ऊँचे पठार पर निर्मित है तथा इसका क्षेत्रफल 28 वर्ग किलोमीटर है। इसे भारत का सबसे लम्बा किला भी कहा जाता है। यह गम्भीरी और बेडच नदियों के संगम पर स्थित है।
चित्तौरगढ़ का किला |
इसके निर्माता के बारे में प्रामणिक जानकारी का अभाव है। उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर पता चलता है कि इसका सम्बन्ध मौर्य वंशीय शासको से था। मेवाड़ के इतिहास ग्रंथ वीरविनोद के अनुसार मौर्य राजा चित्रांगद ने यह किला बनवाकर अपने नाम पर इसका नाम चित्रकोट रखा था। उसी का अपभ्रंश चितौड़ है। मेवाड़ में गुहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने इस अंतिम मौर्य शासक मानमोरी को पराजित कर आठवीं शताब्दी ई के लगभग चितौड़ पर अधिकार कर लिया।
यह दुर्ग 616 मीटर ऊँचे एक पठार पर स्थित है जिसे मेसा का पठार कहते है। चितौड़ के दुर्ग तक पहुँचने के लिए एक घुमावदार रास्ते से चढ़ाई करनी पड़ती है। इस मार्ग में सात विशाल प्रवेश द्वार है जो एक सुदृढ़ प्राचीर द्वारा परस्पर जुड़े है। इनमे प्रथम दरवाजा पाडनपोल कहलाता है। इसके पास में प्रतापगढ़ के रावत बाघ सिंह का स्मारक बना है जो चितौड़ के दूसरे साके के समय बहादुरशाह की सेना से जूझते हुए वीरगाती को प्राप्त हुए थे। किले को दूसरा प्रवेश द्वार भैरवपोल और तीसरा हनुमानपोल कहलाते है। इसी प्रकार सांतवा और अंतिम प्रवेश द्वार रामपोल है। जिसके सामने मेवाड़ के आमेठ ठिकाने के यशस्वी पूर्वज पत्ता सिसोदिया का स्मारक है जिसने तीसरे साके के समय आक्रांता से जूझते हुए प्राणोत्सर्ग कर दिया था।
चित्तौरगढ़ के किले की कला संस्कृति |
इस दुर्ग में अदबदजी का मंदिर, रानी पद्मनी का महल, गोरा एवं बादल के महल, कालिका मंदिर, सूरजकुंड, जयमल और फत्ता की हवेलिया, जयमल जी का तालाब, समिधेश्वर का मंदिर, शृंगार चवरी का मंदिर और नवलखा भंडार स्थित है। दुर्ग के भीतर स्थित नौखण्डा विजय स्तम्भ इस दुर्ग की सबसे भव्य इमारत है। ऐसी मान्यता है की इसका निर्माण 1440 ई से 1448 ई में महाराणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी को परास्त करने के उपलक्ष्य में करवाया था। यह हिंदू देवी देताओ का अजायबघर कहलाता है।
चितौड़गढ़ के किले में रत्नेश्वर तालाब, कुम्भ सागर तालाब, हाथीकुंड, भीमलत तालाब, चित्रांग मोरी का तालाब जलापूर्ति के बना हुआ है। दुर्ग के अन्य प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में भामाशाह की हवेली, सलूम्बर और रामपुरा व अन्य संस्थानों की हवेलियाँ, तोपखाना हिंगलू आहड़ा के महल इत्यादि प्रमुख है। वहां विद्यमान फतह प्रकाश महल को संग्राहलय के रूप में विकसित किया गया है जिसमे अनेक कलात्मक देव प्रतिमाये, अलंकृत पाषाण स्तम्भ तथा और बहुत सारी पूरा सामग्री सगृहीत है।
यदि आपको ये आर्टिकल कैसा लगा कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताये। यदि आप चाहते हो की मै कोई राजस्थान gk का टॉपिक आपकी पसंद का लिखना हो तो कमेंट बॉक्स कमेंट करे।
ये भी पढ़े :
बीकानेर के राठौड़ो का इतिहास
भरतपुर के जाट वंश का इतिहास
महत्वपूर्ण किताबे खरीदे
लक्ष्य 10001 प्रश्नो का संग्रह - https://amzn.to/38h9vDD
राय पब्लिकेशन - https://amzn.to/2ZnoacB
धरोहर सामान्य ज्ञान - https://amzn.to/2Vz78XA
Ygkrajasthan is a best hindi blog to increase your dharmik Knowledge. and know more about - religious stories,History, sociel problem, releted. and this blog is about Kumbhalgarh ka kila in hindi.
ReplyDelete