रणथम्भौर का इतिहास
कुतुबद्दीन ऐबक ने पृथ्वीराज के पुत्र गोविंदराज से अजमेर लेकर रणथम्भोर का राज्य प्रदान किया। इस प्रकार गोविंदराज को रणथम्भोर के चौहान वंश की स्थापना की। उसके बाद वल्लनदेव, प्रल्हादन और वीर नारायण थे।
वीर नारायण ने दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश से युद्ध किया था। वाग्भट्ट के समय में बलबन ने रणथम्भोर पर 3 बार आक्रमण किया।
हम्मीर देव चौहान ( 1282 ई - 1301 ई )
रणथम्भोर के चौहानो का इतिहास वास्तिविक रूप से हम्मीर देव चौहान के गौरवमयी कीर्ति से सुशोभित हुआ। हम्मीर देव जयसिम्हा चौहान का तीसरा पुत्र था। अमीर खुसरो और बरनी अल्लाउद्दीन खिलजी के रणथम्भोर सम्बन्धी अभियानो का वर्णन देते है। इस वर्णन पर हम्मीर महाकाव्य (नयानचन्द सूरी ), सुर्जन चरित्र , हम्मीर रासो (जोधराज ) तथा हम्मीर हठ (चंद्र्शेखर ) से भी कुछ प्रकाश है।
राणा हम्मीर देव चौहान दिग्विजय की निति अपनाई और उसने समस्त उत्तर-पश्चिम के राजपूत शासको को जीता।विजय अभियानों से लौटने के बाद हम्मीर ने कोटीयजन यज्ञ करवाया। जिसका पुरोहित विश्वरूप था।
जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 ई में झाई के दुर्ग पर आक्रमण कर दिया। इसके पश्चात् उसने रणथम्भौर पर आक्रमण कर दिया और दुर्ग के बाहर घेरा डाल दिया। अमीर खुसरो एवं बरनी तारीख - ए - फिरोजशाही के अनुसार दुर्ग को जीतने के जलालुद्दीन से समस्त प्रयास असफल रहे। अंत में जलालुद्दीन ने दुर्ग पर से घेरा हटा लिया और वापस लौट चलने का आदेश दिया। सुल्तान ने कहा की - 'ऐसे 10 दुर्गो को भी मै मुसलमान के एक बाल के बराबर महत्त्व नहीं देता।' सुल्तान की सेना लौट जाने के बाद हम्मीर ने फिर झाई पर कब्ज़ा कर लिया।
हम्मीर और अल्लाऊद्दीन खिलजी : अल्लाऊद्दीन खिलजी एक सम्रज्य्वादी शासक था दूसरी और हम्मीर देव चौहान भी महत्वाकांक्षी शासक था। हम्मीर ने कुल 17 युद्ध लड़े जिनमे से 16 युद्ध में वह विजयी रहा। 17 वे युद्ध में वह दिल्ली सुल्तान अल्लाऊद्दीन खिलजी की सेना से लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ।
अल्लाऊद्दीन खिलजी का रणथम्भोर दुर्ग पर आक्रमण करने का कारण :
- राज कर देना बंद कर दिया।
- उसने अल्लाऊद्दीन के मंगोल विद्रोहियो को आश्रय दिया। जिसके नेता मुहम्मद शाह और केहब्रू थे। हम्मीर हठ के अनुसार मुहम्मद शाह को सुल्तान को मराठा बेगम 'चिमना ' से प्यार हो गया था। और मुहम्मद शाह और बेगम दोनों मिलकर अल्लाऊद्दीन को समाप्त करना चाहते थे।
रणथम्भोर दुर्ग पर आक्रमण :
इसके बाद अल्लाऊद्दीन खिलजी अपनी बड़ी सेना लेकर दुर्ग को घेर लिया। अल्लाऊद्दीन सेनापति रतिपाल, सेनानायक रणमल तथा अधिकारी सुर्जन शाह को लालच देकर अपनी तरफ मिला लिया।
लम्बा घेरा होने के कारण दुर्गो में खाद्य सामग्री का आभाव होने लगा। शत्रु के अंतिम आक्रमण में जाने से पहले स्त्रियो ने हम्मीर की रानी रंगदेवी नेतृत्व में जौहर की चिता में प्रवेश किया। यह राजस्थान का प्रथम जल जौहर था। रानी रंगदेवी ने रणथम्भोर दुर्ग स्थित पदमला तालाब में कूदकर जल जौहर किया था। इसके बाद राजपूतो ने केसरिया किया और शत्रु से युद्ध किया। हम्मीर देव हम्मीर देव लड़ता हुआ मारा गया। 11 जुलाई 1301 में रणथम्भोर पर अल्लाऊद्दीन का अधिकार हो गया हो गया।
अमीर खुसरो अभियान में अल्लाऊद्दीन के साथ था। उसने लिखा कि रणथम्भोर में अल्लाऊद्दीन ने अपनी धर्मान्धता दिखाते हुए मंदिरो, मूर्तियों को तोड़ने का आदेश दिया। आगे लिखता है कि 'कुफ्र का घर इस्लाम का घर हो गया है। '
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