बिजौलिया किसान आंदोलन
बिजोलिया का पुराना नाम विजयवाली था। अशोक परमार ने खानवा के युद्ध में भाग लिया था। इसलिए राणा सांगा ने अशोक परमार को उपरमाल की जागीर दी थी। इस जागीर का मुख्य केंद्र बिजोलिया था। बिजोलिया मेवाड़ रिसायत का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था। बिजोलिया वर्तमान में भीलवाड़ा जिले में स्थित है।
किसान आंदोलन के कारण
- 84 प्रकार के कर
- अधिक भू - राजस्व
- लांटा व कुन्ता कर
- चवरी कर
- तलवार बंधाई कर
कृष्ण सिंह ने 1903 में लड़कियों की शादी पर चवरी कर लगाया। तलवार बंधाई कर नए सामंत द्वारा राजा को दिया जाता था लेकिन 1906 में पृथ्वी सिंह ने यह ने जनता पर लगा दिया था।
प्रथम चरण (1984 - 1914 )
आंदोलन का प्रथम चरण धाकड़ जाति के किसानो द्वारा आंदोलन किया गया। यह आंदोलन गिरधरपुरा नामक गांव से प्राम्भ हुआ। साधु सीताराम दास के कहने पर नानजी पटेल व ठाकरी पटेल को मेवाड़ महाराणा फतेहसिंह के पास शिकायत के लिए उदयपुर भेजा। महाराणा ने हामिद नामक अधिकारी को जाँच के लिए भेजा। परन्तु प्रथम चरण में किसानो को अधिक सफलता नहीं मिली। यह आंदोलन इस समय स्थानीय नेताओ द्वारा चलाया गया था।
स्थानीय नेता के नाम - प्रेमचंद भील, ब्रह्मदेव, फतेहकरण चारण।
द्वितीय चरण (1921- 1922)
द्वितीय चरण में विजय सिंह पथिक तथा माणिक्य लाल वर्मा आंदोलन से जुड़ गए। विजय सिंह पथिक ने 1917 में बरिसाल नामक गांव में हरियाली अमावस्या के दिन उपरमाल पंच बोर्ड की स्थापना की तथा मुन्ना पटेल को इसका अध्यक्ष बनाया गया। विजय सिंह पथिक ने उपरमाल सेवा समिति का गठन तथा "उपरमाल का डंका" नाम से पत्र प्रकाशित किया।
मेवाड़ रियासत ने 1918 में बिंदुलाल भट्टाचार्य आयोग बनाया। AGG रोबर्ट होलेंड तथा मेवाड़ के पोलिटिकल एजेंट ने 1922 में किसानो के साथ समझौता करवाया तथा किसानो के 35 कर माफ़ कर दिए। परन्तु बिजोलिया के सामंत ने इस समझौते को स्वीकार नहीं किया।
तृतीय चरण (1923-1941 )
विजय सिंह पथिक के कहने पर किसानो ने अपनी जमीने सामंत को लौटा दी , सामंत ने जमीनों को जब्त कर दिया। 1927 में विजय सिंह पथिक आंदोलन से अलग हो गए। तब जमना लाल बजाज ने हरिभाऊ उपाध्याय को आंदोलन का नेतृत्व सौपा।
1914 में मेवाड़ के प्रधानमंत्री वी.राघवाचारी तथा राजस्व मंत्री मोहन सिंह मेहता के प्रयासों से समझौता हुआ, जब्त जमीने उनको वापस की गई तथा उनके कर कम कर दिए गए।
तिलक ने अपने "मराठा" समाचार पत्र में बिजोलिया किसान आंदोलन के पक्ष में लाख लिखा था।
गणेश शंकर विद्यार्थी ने कानपूर से "प्रताप" नमक समाचार पत्र प्रकाशित करते थे तथा इसमें बिजोलिया किसान आंदोलन की खबरे प्रकाशित होती थी। प्रेमचंद का "रंगभूमि' उपन्यास बिजोलिया किसान आंदोलन पर आधारित है।
माणिक्य लाल वर्मा ने "पंछीडा" गीत से किसानो को उत्साहित किया। भवरलाल जी ने भी अपने गीतों से किसानो को उत्साहित किया।
Bijoliya kisan aandolan pream Chand ke upnyas rangbhumi pr kese aadharit h
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